सोशल मीडिया : ध्रुवीकऱण की भट्टी पर सियासत की रोटी

आप कहीं भी मीडिया की चर्चा कीजिए। अपने आप बात परम्परागत मीडिया से होते हुए सोशल मीडिया पर आ जाती है। हर किसी को अपनी बात हर इलेक्ट्रॉनिक तरीक़े से कहने की आज़ादी मिल गई है। यह लोकतंत्र के लिए अच्छा है मगर ‘अच्छे’ के दर्शन अभी बाक़ी हैं। देश में तेज़ी से लोकप्रिय हुआ […]

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सोशल मीडिया और आपत्तिजनक सामग्री: ज़िम्मेदारी का अभाव

जबकि भारत में ट्वीटर के नियमन को लेकर देश में बहस चल रही है और सरकार एवं ट्वीटर के बीच ठनी हुई है, एक बार फिर जनता के बीच यह बहस का मुद्दा बन गया है कि सोशल मीडिया से आपत्तिजनक, अश्लील या समाज के लिए घातक सामग्री को नियंत्रित करने का क्या तरीक़ा हो […]

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