UK Church Fire

फैक्ट चेकः यूके में चर्च जलाए जाने की घटना में सांप्रदायिक एंगल नहीं है, भ्रामक दावा वायरल

Fact Check hi Featured Misleading

यूनाइडेट किंगडम (यूके) के वेल्स में एक चर्च में आग लगने की घटना हुई है। सोशल मीडिया पर इस घटना को अलग-अलग धर्मों के आरोपियों से जोड़कर सांप्रदायिक किए जा रहे हैं। कुछ यूजर्स द्वारा आरोपियों को मुस्लिम बताया जा रहा है, तो कुछ लोगों ने आरोपियों का नाम राघव पटेल और राहुल कुमार बताते हुए उनके भारतीय आप्रवासी होने का दावा किया है।

नवीन कुमार जिंदल नामक यूजर ने चर्च में आग लगने का वीडियो शेयर करते हुए लिखा, ‘इंग्लैंड के वेल्स में ऐतिहासिक चर्च को मुसलमानों ने आग लगा दी है। आतंकवाद का केवल एक ही मज़हब होता है……’

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वहीं जूलिया कैंड्रिक (Julia Kendrick) नामक यूजर ने इस घटना में आरोपियों के भारतीय आप्रवासी होने का दावा करते हुए लिखा, ‘यू.के. से चौंकाने वाली खबर. वेल्स में एक चर्च को दो भारतीय प्रवासियों (राघव पटेल और राहुल कुमार) ने आग के हवाले कर दिया। यू.के. में ईसाई धर्म पर हमला हो रहा है।’ (हिन्दी अनुवाद)

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फैक्ट चेकः

DFRAC की टीम ने वायरल दावे की जांच के लिए वीडियो के की-फ्रेम्स को रिवर्स इमेज सर्च किया। हमें इस घटना के संदर्भ में बीबीसी, वेल्स ऑनलाइन सहित कई मीडिया रिपोर्ट्स मिलीं, जिसमें बताया गया है कि पोर्ट टैलबोट की एक चैपल में लगी आग के बाद दो किशोरों को गिरफ़्तार किया गया है। साउथ वेल्स पुलिस ने बताया कि सैंडफ़ील्ड क्षेत्र के एक 14 वर्षीय लड़के और ब्रायन के एक 15 वर्षीय लड़के को आगजनी के संदेह में गिरफ़्तार किया गया है। अधिकारियों ने बताया कि घटना की जांच जारी है।

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वहीं आगे की जांच के लिए हमने वेल्स साउथ पुलिस के ऑफिशियल एक्स हैंडल (South Wales Police @swpolice)  को देखा, यहां कई यूजर्स की रिप्लाई में वेल्स पुलिस ने बताया, ‘ये दावे झूठे हैं और लोगों से इन्हें शेयर न करने का आग्रह किया जा रहा है। हमने यह भी स्पष्ट किया कि गिरफ्तार किए गए लोग स्थानीय किशोर हैं’।

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वहीं इस घटना पर एक अन्य ट्वीट में किए गए सांप्रदायिक दावे पर वेल्स पुलिस ने कहा,  ‘नहीं, ऐसा नहीं है। आरोप झूठे हैं। घटना के सिलसिले में आगजनी के संदेह में दो स्थानीय किशोरों को गिरफ्तार किया गया है’।

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निष्कर्षः

DFRAC के फैक्ट चेक से साफ है कि चर्च में आग लगने की घटना के बाद हिरासत में लिए गए आरोपियों के धर्म को लेकर किया गया दावा भ्रामक है। क्योंकि वेल्स पुलिस के अनुसार इस घटना में हिरासत में लिए आरोपी स्थानीय नाबालिग हैं, जिनकी पहचान को उजागर नहीं किया गया है। इसलिए सोशल मीडिया यूजर्स का दावा भ्रामक है।