
सोशल मीडिया पर एक वीडियो जमकर वायरल हो रहा है। इस वीडियो में देखा जा सकता है कि एक महिला कमर तक रेत के अंदर धंसी हुई है और आस-पास मौजूद भीड़ उस महिला को पत्थर से मार रही है। सोशल मीडिया यूजर्स इस वीडियो को बांग्लादेश का बताते हुए इसे इस्लामी शरियत कानून के तहत सजा दिए जाने की बात लिख रहे हैं साथ ही यह दावा भी कर रहे हैं कि भारतीय मुस्लिम ऐसा ही कानून भारत में चाहते हैं।
एक यूजर ने इस वीडियो के साथ अंग्रेजी भाषा में कैप्शन लिखा, जिसका हिन्दी अनुवाद है, “बांग्लादेश में शरिया के तहत एक महिला को इस्लामवादियों द्वारा पत्थर मार दिया गया। भारतीय मुसलमान भारत में भी यही कानून चाहते हैं।”
वहीं कई अन्य यूजर्स ने भी इस वीडियो को ऐसे ही दावे के साथ शेयर किया है, जिसे यहां और यहां क्लिक करके देखा जा सकता है।
फैक्ट चेकः
DFRAC की टीम ने सबसे पहले वायरल वीडियो की जांच की। हमने पाया कि वीडियो में 16 सेकेंड पर एक व्यक्ति “एक्शन” कहता है, इसके बाद भीड़ “शुरु करो-शुरु करो” कहकर महिला पर पत्थर फेंकना शुरु कर देती है। “एक्शन” के संबोधन से यह प्रतीत होता है कि यह वीडियो किसी फिल्म या नाटक की शूटिंग हो सकती है, क्योंकि औम तौर पर यह शब्द किसी भी दृश्य के फिल्मांकन से पहले बोला जाता है।
इसके बाद आगे की जांच के लिए हमारी टीम ने वीडियो के क्रीफ्रेम्स को रिवर्स सर्च किया। हमें यह वीडियो SHAMIM AHMED CIP नामक यूट्यूब चैनल पर मिला। इस वीडियो को 19 मार्च 2023 को अपलोड किया गया है। इसके साथ बंगाली भाषा में कैप्शन दिया गया है, जिसका हिन्दी अनुवाद, “व्यभिचार की सज़ा क्या?” है।
एक मिनट ड्यूरेशन वाले इस वीडियो में 48 सेकेंड पर “एक्शन” बोलते हुए सुना जा सकता है। जैसे ही एक्शन बोला जाता है, उसके बाद भीड़ ‘शुरु करो’ कहकर पत्थर फेंकने लगती है। वहीं सोशल मीडिया पर कई यूजर्स ने लिखा है कि यह वीडियो किसी वास्तविक घटना से संबंधित नहीं है। वीडियो देखने से यह स्पष्ट है कि यह एक मंचित दृश्य है।
निष्कर्षः
DFRAC के फैक्ट चेक से साफ है कि सोशल मीडिया पर शेयर किया गया वीडियो, हाल-फिलहाल का नहीं है। यह वीडियो वर्ष 2023 में एक यूटयूब चैनल पर अपलोड किया गया था। वहीं यह वीडियो वास्तविक घटना का प्रतीत नहीं होता है, क्योंकि इस वीडियो में “एक्शन” बोले जाने के बाद लोगों द्वारा पत्थर फेंके जाते हैं, ‘एक्शन’ आम तौर पर किसी दृश्य के फिल्मांकन से पहले बोला जाता है। इसलिए यूजर्स का दावा भ्रामक है।