फैक्ट चेक: क्या तालिबान ने कहा – “इस्राइल के पड़ोसी मुस्लिम देश हमें रास्ता दे तो जीत लेंगे जेरूसलम”

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सोशल मीडिया पर तालिबान के हवाले से एक बड़ा बयान वायरल हो रहा है। जिसमे दावा किया जा रहा है कि इस्राइल और हमास के बीच छिड़ी जंग में तालिबान ने मदद का ऐलान करते हुए कहा कि अगर उसके पड़ोसी मुस्लिम मुल्क उसे फिलिस्तीन पहुंचने का रास्ता दे तो वह जेरूसलम को जीत लेंगे।

भारतीय मीडिया ने क्या कहा?

इस खबर को भारत सहित कई देशों के बड़े मीडिया हाउस ने कवर किया है।  ज़ी न्यूज़ ने इस खबर कवर करते हुए बताया कि इस्राइल और हमास युद्ध मेन तालिबान कि एंट्री, तालिबान ने इराक, ईरान और जॉर्डन से कहा, इस्राइल जाने के लिए रास्ता दें।

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वहीं वन इंडिया ने अपनी रिपोर्ट में लिखा कि तालिबान के विदेश कार्यालय ने मध्य पूर्वी देशों की सरकारों से संपर्क करके उन्हें सेफ पैसेज देने का अनुरोध किया है। तालिबान ने कहा कि वह हमास की सहायता करना चाहता है। 

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विदेशी मीडिया ने क्या कहा ?

इसके अलावा कई विदेशी मीडिया हाउस ने भी इस खबर को कवर किया है। बेलारूसी समाचार एजेंसी नेक्सटा ने ट्वीट कर कहा कि रूस के सहयोगी तालिबान आतंकी संगठन ने किया हमास का समर्थन: “अगर इजरायल के पड़ोसी मुस्लिम देश हमें वहां से गुजरने का अधिकार देते हैं, तो हम यरूशलेम को जीत लेंगे।”

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वहीं यूके के न्यूज़ पेपर एक्स्प्रेस ने लिखा कि तालिबान ने कसम खाई है कि अगर ईरान, इराक और जॉर्डन इजरायल को रास्ता देंगे तो वह यरूशलेम को जीत लेगा।

Source: Express.co.uk

कहां से हुई इस दावे की शुरुआत?

इस दावे की शुरुआत X (ट्विटर) पर चल रहे तालिबान जनसंपर्क विभाग नामक एक वेरिफाइड अकाउंट से किये गए ट्वीट से हुई। जिसमे उसने लिखा कि आज शाम, विदेश कार्यालय ने #ईरान, इराक और जॉर्डन में अपने समकक्षों से संपर्क किया, और हमारे लोगों को पवित्र भूमि के रास्ते में उनके संप्रभु क्षेत्र को पार करने की अनुमति मांगी। हम तैयारी कर रहे हैं और अपने पड़ोसियों से अच्छी खबर की उम्मीद कर रहे हैं।

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एक अन्य ट्वीट में इस अकाउंट से कहा गया कि तालिबान ने ईरान के साथ जो समझौता किया है वह संतोषजनक है। इराक ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी और जॉर्डन ने तालिबान को अपने देश में प्रवेश करने से रोक दिया। अरब देश इजरायल के अत्याचार के लिए ढाल का काम करते हैं। वे #FreePalestine के लिए लड़ने में असमर्थ हैं और दूसरों को भी इसकी अनुमति नहीं देंगे।

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फैक्ट चेक:

वायरल दावे की जांच के लिए DFRAC टीम ने सबसे पहले X (ट्विटर) पर चल रहे तालिबान जनसंपर्क विभाग नामक अकाउंट की जांच की तो पाया कि ये अफगानिस्तान में तालिबान सरकार का आधिकारिक अकाउंट नहीं है। बल्कि फेक अकाउंट है।

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फिर हमने तालिबान सरकार के विदेश मंत्रालय के आधिकारिक अकाउंट को सर्च किया। इस दौरान हमें तालिबान सरकार के विदेश मंत्रालय के आधिकारिक अकाउंट से इस्राइल और हमास युद्ध पर किया गया ट्वीट मिला। जिसमे उन्होने कहा कि अफगानिस्तान का इस्लामी अमीरात गाजा पट्टी में हुई हालिया घटनाओं पर बारीकी से नजर रखे हुए है और जो कुछ भी हो रहा है उसे इजरायली आक्रामकता और अल-अक्सा मस्जिद और मुसलमानों के पवित्र स्थानों की पवित्रता के लगातार उल्लंघन के परिणामस्वरूप मानता है। और फिलिस्तीनी लोगों की अपनी स्वतंत्रता और अपने देश की आजादी की रक्षा और अपनी भूमि और पवित्र स्थानों पर कब्जे के खिलाफ उनके प्रतिरोध को अपना वैध अधिकार मानता है। 

अफगानिस्तान का इस्लामी अमीरात फिलिस्तीनी लोगों के फिलिस्तीनियों की ऐतिहासिक भूमि में एक स्वतंत्र राज्य के वैध, ऐतिहासिक और कानूनी अधिकार के लिए अपने समर्थन की घोषणा करता है और इस्लामी देशों, इस्लामी सहयोग संगठन, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय और विशेष रूप से इसका समर्थन करता है। इस्लामिक सहयोग संगठन, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय और विशेष रूप से क्षेत्र में प्रभाव रखने वाले देश से अनुरोध करते हैं कि इजरायली कब्जे वाली सेना निर्दोष लोगों के खिलाफ हिंसा को रोकें, और फिलिस्तीनी मुद्दे का समाधान किया जाए। यह दिया जाना वैध है।

Source: X
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इसके अलावा हमने कई अन्य ट्वीट भी देखें। लेकिन हमें ऐसा कोई बयान नहीं मिला। जिसमे तालिबान ने इस्राइल के पड़ोसी मुस्लिम देशों ईरान, इराक और जॉर्डन से इस्राइल और हमास युद्ध में शामिल होने के लिए रास्ता मांगा हो।

निष्कर्ष:

अत: DFRAC के फैक्ट चेक से स्पष्ट है कि तालिबान का इस्राइल-हमास युद्ध में शामिल होने के लिए ईरान, इराक और जॉर्डन से रास्ता मांगे जाने का दावा फेक है।