सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भारतीय स्टेट बैंक द्वारा सौंपी गई इलेक्टोरल बॉन्ड्स की जानकारी को चुनाव आयोग द्वारा सार्वजनिक किया गया। इस बीच सोशल मीडिया पर दावा किया जा रहा है कि पाकिस्तान की हब पावर कंपनी द्वारा चुनावी बॉन्ड के माध्यम से चंदा दिया गया। कुछ यूजर्स पाकिस्तानी कंपनी से बीजेपी को चंदा मिलने का दावा कर रहे हैं, तो वहीं कुछ यूजर्स ने कांग्रेस को चंदा मिलने की बात कही है।
एक्स पर सुधीर मिश्रा नामक यूजर ने दावा किया- “मीडिया ये “भयानक” खबर क्यों नहीं दिखाता? कांग्रेस को 18 अप्रैल 2019 को ‘पाकिस्तान’ की “हब पावर कंपनी” से “चुनावी बांड” प्राप्त हुये? कांग्रेस बताये, कि दुश्मन देश की “पाकिस्तानी कम्पनी” से आपके क्या रिश्ते हैं? आतंकी देश की कंपनी से चंदा लेना….पर क्यों?”
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वहीं आलोक चिक्कू नामक एक यूजर ने दावा किया कि- “चौंकाने वाला खुलासा.. पाकिस्तान स्थित कंपनी हब पावर कंपनी ने पुलवामा हमले के कुछ हफ़्ते बाद इलेक्टोरल बॉन्ड दान किए! दान किसको दिए हैं वही बीजेपी को ! बदले में क्या मिला होगा इन्हें पता ही होगा वो तो । जब पूरा देश 40 बहादुर सैनिकों की शहादत पर शोक मना रहा था, तब कोई पाकिस्तान से मिलने वाले फंड का लुत्फ़ उठा रहा था। अब आपको पता चल गया है कि पुलवामा हमलों की कभी उचित जांच क्यों नहीं की गई और अभी तक कोई अपराधी पकड़ा क्यों नहीं गया! #ElectoralBondsCase #चंदा_चोर_मोदी“
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फैक्ट चेकः
DFRAC की टीम को जांच के दौरान मिली जानकारी के मुताबिक हब पावर कंपनी पाकिस्तान की नहीं बल्कि, एक भारतीय कंपनी है। जीएसटी पोर्टल पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार पूर्वी दिल्ली स्थित यह कंपनी 2018 में रजिस्टर हुई थी। वहीं कई मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया है कि इस कंपनी ने 18 अप्रैल 2019 लोकसभा चुनावों के दौरान 95 लाख रुपए चंदा बॉन्ड के जरिए दिया था।
वहीं जिस पाकिस्तानी कंपनी की बात हो रही है, वो ‘हब पावर कंपनी लिमिटेड’ (HUBCO) है, वहीं इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए चंदा देने वाली भारतीय कंपनी का नाम ‘हब पावर कंपनी’ है।
निष्कर्षः
DFRAC के फैक्ट चेक से साफ है कि इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए चंदा देने वाली ‘हब पावर कंपनी’ पाकिस्तान की नहीं, बल्कि भारतीय कंपनी है, जो पूर्वी दिल्ली में स्थित है। इसलिए सोशल मीडिया यूजर्स द्वारा किया जा रहा दावा भ्रामक है।