सोशल मीडिया पर एक वीडियो बड़े पैमाने पर वायरल हो रहा है। जिसमे एक पुरुष पुलिस अधिकारी एक महिला की लाठी से पिटाई कर रहा है। वीडियो किसी विरोध-प्रदर्शन का है।
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वीडियो को शेयर करते हुए भीम आर्मी राजस्थान के आईटी सेल प्रचारक अनिल कुमार ने लिखा कि लाडली बहनों का स्वागत आज भोपाल में भैया द्वारा
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वहीं ओबीसी महासभा के कार्यकारी अध्यक्ष दिनेश सिंह ने भी इस वीडियो को अपने X (ट्विटर) अकाउंट पर पोस्ट किया है। उन्होने वीडियो को केप्शन देते हुए लिखा कि प्रदेश भर की आंगनवाड़ी कार्यकर्ता अपने अधिकारों के लिए भोपाल में आंदोलन कर रहीं थी शिवराज सरकार ने इस तरह से महिलाओं के साथ अमानवीय व्यवहार किया गया जिसकी #ओबीसी_महासभा की ओर से मै निंदा करता हूँ और आने वाले चुनावों में भाजपा को सबक सिखा कर बदला लेने का आह्वान करता हूँ
फैक्ट चेक
वायरल वीडियो की सत्यता की जांच के लिए DFRAC टीम ने वीडियो को InVID टूल की मदद से कीफ्रेम में बदला। फिर अलग-अलग सभी कीफ्रेम को रिवर्स सर्च किया। इस दौरान हमें ऐसा ही एक वीडियो यूट्यूब पर मिला।
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यूट्यूब पर इस वीडियो को चार साल पहले WU LIVE नामक चैनल से पोस्ट किया गया था। वीडियो के बारे में डिसक्रिप्शन में जानकारी देते हुए बताया गया कि मंगलवार को रांची में आंगनबाड़ी महिला वर्कर्स ने सीएम आवास का घेराव किया। ये लोग स्थायी करने समेत 9 मांगों को लेकर शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे थे। प्रदर्शन शांतिपूर्ण था लेकिन तभी एक महिला वर्कर उग्र हो गई। उसे समझाने बुझाने की बजाय खुद पुलिस का आला अधिकारी लाठियों से पीटने लगा। बर्बर पुलिसिया लाठीचार्ज में दर्जनों महिलाएं जख़्मी हो गईं जबकि पुलिस की लाठी से एक वर्कर का हाथ टूट गया।
आगे की जांच में हमने इस घटना से जुड़ी खबरों को तलाशा। इस दौरान हमें न्यूज क्लिक की एक रिपोर्ट मिली। जिसमे वायरल वीडियो के स्क्रीन ग्रैब का भी इस्तेमाल फीचर इमेज के रूप में किया गया।
रिपोर्ट में बताया गया कि 24 सितंबर को झारखंड के रांची में कई प्रदर्शनकारी आंगनवाड़ी सेविका सहायिका संघ कार्यकर्ताओं को उनके विरोध के लगातार 40वें दिन पुलिस ने पीटा था। झारखंड के रांची में राजभवन के बाहर विरोध प्रदर्शन के दौरान पुरुष पुलिस अधिकारियों द्वारा महिलाओं की कथित तौर पर पिटाई की गई। इस घटना का एक छोटा सा वीडियो वायरल हो गया, जिसमें पुरुष पुलिस अधिकारी विरोध प्रदर्शन पर महिलाओं को पीटते नजर आए और एक भी महिला पुलिस अधिकारी नजर नहीं आई।
निष्कर्ष:
अत: DFRAC के फैक्ट चेक से प्रमाणित होता है कि वायरल वीडियो भ्रामक है। क्योंकि ये वीडियो मध्य प्रदेश के भोपाल का नहीं बल्कि झारखंड के रांची का है और चार साल पुराना है।